परिचय
भारत में स्टार्टअप्स के लिए धनराशि जुटाना एक प्रमुख चुनौती रही है। एंजेल निवेशक, जो शुरुआती चरण के व्यवसायों में निवेश करते हैं, अक्सर स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। हालांकि, सरकार ने "एंजेल टैक्स" नामक एक कर की शुरुआत की है, जिसने स्टार्टअप्स और निवेशकों के बीच चिंता का विषय बना दिया है। इस ब्लॉग में, हम एंजेल टैक्स क्या है, इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी, और इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
एंजेल टैक्स क्या है?
एंजेल टैक्स वह कर है जो भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 के तहत वसूला जाता है। यह तब लागू होता है जब एक अनलिस्टेड कंपनी, जो स्टार्टअप हो सकती है, अपने शेयरों को उनके फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) से अधिक मूल्य पर जारी करती है। इस अतिरिक्त राशि को कंपनी की आय के रूप में माना जाता है और उस पर कर लगाया जाता है। इसे 'एंजेल टैक्स' कहा जाता है क्योंकि यह आमतौर पर उन निवेशों पर लागू होता है जो एंजेल निवेशकों द्वारा किए जाते हैं।
एंजेल टैक्स की उत्पत्ति और आवश्यकता
एंजेल टैक्स की अवधारणा 2012 में भारतीय आयकर अधिनियम में जोड़ी गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य शेल कंपनियों और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना था। कई बार, कंपनियां अपनी वास्तविक मूल्य से अधिक शेयर जारी करके काले धन को सफेद करने का प्रयास करती थीं। एंजेल टैक्स के माध्यम से, सरकार ने इस प्रवृत्ति को नियंत्रित करने का प्रयास किया।
एंजेल टैक्स की गणना कैसे होती है?
एंजेल टैक्स की गणना इस प्रकार की जाती है:
फेयर मार्केट वैल्यू (FMV): यह वह मूल्य है जिस पर शेयर जारी किए जाते हैं। इसे विभिन्न तरीकों से निर्धारित किया जा सकता है, जैसे कि डिस्काउंटेड कैश फ्लो (DCF) मेथड या नेट एसेट वैल्यू (NAV) मेथड।
जारी मूल्य: यह वह मूल्य है जिस पर कंपनी ने शेयर जारी किए हैं। यदि जारी मूल्य FMV से अधिक है, तो इस अतिरिक्त राशि को कर योग्य आय माना जाता है।
एंजेल टैक्स का प्रभाव
एंजेल टैक्स का प्रभाव स्टार्टअप्स और निवेशकों दोनों पर पड़ता है:
स्टार्टअप्स पर प्रभाव: एंजेल टैक्स ने कई स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। कई स्टार्टअप्स ने यह दावा किया है कि उन्होंने ईमानदारी से निवेश जुटाया है, फिर भी उन्हें कर मांग नोटिस मिले हैं। यह स्टार्टअप्स के लिए अतिरिक्त वित्तीय बोझ बन सकता है, खासकर जब वे अपने विकास के शुरुआती चरण में हों।
निवेशकों पर प्रभाव: एंजेल टैक्स के कारण कई एंजेल निवेशकों ने निवेश करने से हिचकिचाहट दिखाई है। उन्हें डर है कि उनके निवेश पर कर लगाया जा सकता है, जिससे उनके रिटर्न कम हो सकते हैं। इससे भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम को नुकसान हुआ है।
एंजेल टैक्स में हालिया सुधार
भारतीय सरकार ने एंजेल टैक्स को लेकर स्टार्टअप समुदाय की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ सुधार किए हैं:
योग्यता: केवल वही स्टार्टअप्स इस कर के दायरे में आते हैं जो डीपीआईआईटी (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं। डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स इस कर से छूट प्राप्त कर सकते हैं।
निवेशकों की छूट: यदि निवेशक के पास समुचित विवरण और आय का स्रोत प्रमाणित है, तो उसे एंजेल टैक्स से छूट मिल सकती है।
एंजेल टैक्स का भविष्य
हालांकि एंजेल टैक्स का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना था, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में चिंता पैदा की है। यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित प्राधिकरण इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए उचित समाधान प्रदान करें। स्टार्टअप्स के लिए निवेश के प्रवाह को प्रोत्साहित करना और उन्हें विकसित होने में सहायता करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए, नीतिगत सुधार और स्पष्ट दिशानिर्देश की आवश्यकता है, ताकि स्टार्टअप्स और निवेशकों के बीच विश्वास बना रहे और भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम मजबूत हो।
निष्कर्ष
एंजेल टैक्स एक ऐसा मुद्दा है जो भारतीय स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि इसके पीछे का उद्देश्य सही है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में चुनौतियां रही हैं। इसे सही दिशा में सुधार करने के लिए सरकार को स्टार्टअप्स और निवेशकों की चिंताओं को ध्यान में रखना चाहिए। केवल तब ही हम एक स्वस्थ और संपन्न स्टार्टअप इकोसिस्टम की ओर बढ़ सकते हैं।
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